Sunday, November 15, 2009



यस्य स्मरणमात्रेण ज्यानमुत्पद्यते स्वयम्
य एव सर्वसंप्राप्ति-स्तस्मै श्री गुरुवे नम:
(जिन गुरुदेव के स्मरण मात्र से ज्यान् स्वयम् ही उत्पन्न होता है एवं जो सर्वस्व प्राप्ति के स्त्रोत् है, उन गुरुदेव को मेरा प्रणाम)- श्री गुरुगीता