Saturday, September 25, 2010


तुषाराद्रिसंकाश गौरं गंभीरम
मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरम

Thursday, September 23, 2010



Gurudev at Shivari Narayan Ashram, 22 Sept 2010.


Gurudev at Shivari Narayan Ashram, 22 Sept 2010.

Saturday, March 13, 2010



गुरुमूर्ती ध्यानमूलम
As an expression of devotion to Baba, Leena, blesses daughter of Shri Pramod Saraf, has painted this beautiful portrait.

Tuesday, February 16, 2010

मेरी दीक्षा

एक सायं बनोरा आश्रम में बाबा के कक्ष में मैनें याचना की "बाबा मुझे दीक्षा दीजीये"
बाबा-"क्यों बन्धना चाहते हो, मन से गुरू मान लो बस हो गया"
मैं--"३५ वर्षों से स्वतन्त्र ही हूँ, अब बन्धना चाहता हूँ"
बाबा चुप हो गये और शून्य में देखने लगें । घोर नि:शब्द्ता व्याप्त हो उठी । कहीं भी कोई आवाज नहीं । उस पल का गवाह बनने के लिये सूर्य ने गरदन झुका कर कमरे में झाँका । सायं के सूर्य की पीली रोशनी से कमरा नहा उठा । न जाने कितने वक्त मैं इस रोशनी में नहायी नि:शब्द्ता में डूबा रहा । पहली बार महसूस किया, कुछ पल समय के दायरे से बाहर होते हैं ।

तब गुरुदेव ने कहा -"वह तो नवरात्री के बाद होता है।"

इस स्वीकृति से मन उमन्ग से भर गया ।

फ़िर करिब ९ महीने बाद, ३०.०९.२००९ को गुरुदेव ने शिवरी नारायण आश्रम में मुझे मन्त्र दीक्षा दी और मेरे लिये सम्भावनावों का सन्सार खोल दीया ।

श्री गुरुवे नम: ।

Monday, November 23, 2009


ध्यानमूलं गुरोर्मूर्ति: पूजामूलं गुरो: पदम्
मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा
(गुरु स्वरूप ध्यान का आधार है, पूज का मूल स्थान गुरु के चरण हैं, गुरुदेव के कथन ही सर्वश्रेस्ठ मंत्र हैं, गुरुकृपा ही मोक्ष का एकमात्र कारण है)- श्री गुरुगीता

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु-गुरुर्देवो महेश्वर्:
गुरुदेव् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:
(गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही भगावान शंकर हैं, गुरु ही परं ब्रह्म परमात्मा हैं, अत: श्रीगुरुदेव् को मेरा प्रणाम) - श्री गुरुगीता

Saturday, November 21, 2009


सकलभुवनसृष्टि: कल्पिताशेषपुष्टि-
र्निखिलनिगमदृष्टि: संपदां व्यर्थदृष्टि:
अवगुणपरिमार्ष्टि-स्तत्पदार्थैकदृष्टि-
र्भवगुणपरमेष्टि-मोक्षमार्गैकदृष्टि:

(जो सम्पूर्ण भूलोक के रचयिता एवं पालनकर्ता हैं, सम्पूर्ण वेद-पुराण जिनकी दृष्टि में हैं, सम्पूर्ण ऎश्वर्य को जो तुच्छ समझते हैं, जो सभी दुर्गुणों को दूर करने वाले हैं, जो जीव-ब्रह्म के तत्व को जानने वाले हैं, जो इस भवसागर से छुटकारा दिलाने वाले एवं मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करने वाले हैं, वे गुरुदेव मेरे हॄदय में निवास करें) -श्री गुरुगीता

Tuesday, November 17, 2009



शिवे क्रुद्धे गुरुस्त्राता गुरौ क्रुद्धे शिवो न हि
तस्मात्सर्वप्रयत्नेन् श्री गुरु शरणम् ब्रजेत्
(भगवान् शिव यदि नाराज हो जाये तो उनके क्रोध से गुरु बचा लेते है, परन्तु यदि गुरु नाराज हो जाये तो भगवान् शिव भी नही बचा पाते, अत: हर प्रयास कर के गुरुशरण मे जाना चाहिये)- श्री गुरुगीता
(from shriaghoreshwar.org)

Aghoreshwar Mahaprabhu, USA

Sunday, November 15, 2009



यस्य स्मरणमात्रेण ज्यानमुत्पद्यते स्वयम्
य एव सर्वसंप्राप्ति-स्तस्मै श्री गुरुवे नम:
(जिन गुरुदेव के स्मरण मात्र से ज्यान् स्वयम् ही उत्पन्न होता है एवं जो सर्वस्व प्राप्ति के स्त्रोत् है, उन गुरुदेव को मेरा प्रणाम)- श्री गुरुगीता


गुकारस्त्वन्धकारश्च रूकारस्तेज उच्यते
अज्यानग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशय:
("गु" वर्ण अन्धकार का द्योतक है एवं "रू" वर्ण प्रकाश द्योतक है, गुरुदेव् अन्धकार को मिटा कर ज्यानरूपी प्रकाश को प्रदान करने वाले हैं, इसमे कोई संशय नहीं है) - श्री गुरुगीता

Saturday, November 14, 2009


Baba, USA, 1988 (from shriaghoreshwar.org)

Baba, Itali, 1991 (from shriaghoreshwar.org)

Baba, Itali,1991 (from shriaghoreshwar.org)

Baba, Itali, 1988 (from shriaghoreshwar.org)

Aghoreshwar Baba Bhagawan Ram, 1980 (From shriaghoreshwar.org)

आशा चिन्ता सङ्कना बहु डाइन घर माहिं
सतगुरु चरण विचार बिनु नेकु नहिं बिलगाहिं
-बाबा किनाराम विरचित "विवेकसार"

Temple at Banora Ashram, Raigarh

Thursday, November 12, 2009



आकल्पजन्मना कोट्या जपव्रततप: क्रिया:
तत्सर्वम् सफ़लम् देवि गुरुसन्तोषमात्रत:
(श्री गुरुदेव की सन्तुष्ति मात्र से अनेको जन्मों मे किये गये करोरों जप, तप आदि क्रियायें सफ़ल हो जाते हैं)- श्री गुरुगीता

Aghoreshwar Shri Bhagawan Ram, Switzerland, 1990

Holi 2009 at Banora Ashram, Raigarh

Wednesday, November 11, 2009


Holi 2009, Banora
सद् गुरु मिले तो सब मिला, ना तो मिला न कोय

Gurudeo Shri Priyadarshi Baba with Prakash Nande, Holi 2009, Banora

Shri Gurudeo, Holi 2009, Banora

न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं
न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं
शिवशासनत: शिवशासनत:
शिवशासनत: शिवशासनत:
(गुरु से अधिक कुछ नहीं है, यह भगवान शिव का उपदेश है)- श्री गुरुगीता

Aghoreshwar Shri Bhagawan Ram during his Afghanistan Yatra

Shri Gurudeo, Banora, 2009

Statue of Aghoreshwar Bhagawan Ram at Parao Ashram, Varanasi


गुरुभाव: परम् तिर्थम्
(गुरु भाव ही परम तीर्थ है) - श्री गुरुगीता

जीन लेखा तिन्ह लेखा नहीं
अनलेखा सो लेखेहि माहीं
जिन्ह बुझा तिन्ह बुझा नहीं
अनबुझा सो बुझेहि माहीं
-बाबा किनाराम विरचित "विवेकसार"

Aghoreshwar Baba Bhagawan Ram, Parao, Varanasi
(from shriaghoreshwar.org)

Gurudeo Shri Priyadarshi Baba, Banora,2009

शरीरमिन्द्रियं प्राण-श्चार्थ: स्वजनबांधवा:
माता पिता कुलं देवि गुरुरेव न संशय:
(गुरु ही माता, पिता, कूल, स्वजन, बन्धू, शरीर, इन्द्रियां, धन एवं प्राण हैं अर्थात् सबकुछ हैं- इसमें कोइ सन्देह नहीं है)-श्री गुरुगीता

Aghoreshwar Mahaprabhu Bhagawan Ram (from shriaghoreshwar.org

Aghoreshwar Bhagawan Ram preparing for puja (from shriaghoreshwar.org)

Maa Kali, Shivari Narayan Ashram

..............बाबा के दरबार में माई कहे सो होय............