Wednesday, November 11, 2009


Gurudeo Shri Priyadarshi Baba, Banora,2009

शरीरमिन्द्रियं प्राण-श्चार्थ: स्वजनबांधवा:
माता पिता कुलं देवि गुरुरेव न संशय:
(गुरु ही माता, पिता, कूल, स्वजन, बन्धू, शरीर, इन्द्रियां, धन एवं प्राण हैं अर्थात् सबकुछ हैं- इसमें कोइ सन्देह नहीं है)-श्री गुरुगीता