Wednesday, November 11, 2009


जीन लेखा तिन्ह लेखा नहीं
अनलेखा सो लेखेहि माहीं
जिन्ह बुझा तिन्ह बुझा नहीं
अनबुझा सो बुझेहि माहीं
-बाबा किनाराम विरचित "विवेकसार"