Monday, November 23, 2009


ध्यानमूलं गुरोर्मूर्ति: पूजामूलं गुरो: पदम्
मन्त्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरो: कृपा
(गुरु स्वरूप ध्यान का आधार है, पूज का मूल स्थान गुरु के चरण हैं, गुरुदेव के कथन ही सर्वश्रेस्ठ मंत्र हैं, गुरुकृपा ही मोक्ष का एकमात्र कारण है)- श्री गुरुगीता